Maha Mantra

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि, धीयो यो न: प्रचोदयात् ।।



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Tuesday, December 29, 2009

Ganesh Bhajan






वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटी समप्रभ:
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा




ॐ गं गणपतये नमो नमः
श्री सिद्धिविनायक नमो नमः
अष्टविनायक नमो नमः
गणपति बप्पा मोरिया





गणपती अथर्वशीर्ष

ॐ नमस्ते गणपतये।
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि।
त्वमेव केवलं कर्ताऽसि।
त्वमेव केवलं धर्ताऽसि।
त्वमेव केवलं हर्ताऽसि।
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि।
त्वं साक्षादात्माऽसि नित्यम्॥१॥

ऋतं वच्मि । सत्यं वच्मि॥२॥

अव त्वं मां। अव वक्तारं।
अव श्रोतारं। अव दातारं।
अव धातारं। अवानुचानमव शिष्यं।
अव पश्चात्तात्। अव पुरस्तात्।
अवोत्तरात्तात्। अव दक्षिणात्तात्।
अव चोर्ध्वात्तात। अवाधरात्तात।
सर्वतो मां पाहि पाहि समंतात्॥३॥

त्वं वाङ्मयस्त्वं चिन्मय:।
त्वमानंदमयस्त्वं ब्रह्ममय:।
त्वं सच्चिदानंदाद्वितीयोऽसि।
त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि।
त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि॥४॥

सर्वं जगदिदं त्वत्तो जायते।
सर्वं जगदिदं तत्त्वस्तिष्ठति।
सर्वं जगदिदं त्वयि लयमेष्यति।
सर्वं जगदिदं त्वयि प्रत्येति।
त्वं भूमिरापोऽनलोऽनिलो नभ:।
त्वं चत्वारि वाक्पदानि॥५॥

त्वं गुणत्रयातीत:। त्वमवस्थात्रयातीत:।
त्वं देहत्रयातीत:। त्वं कालत्रयातीत:।
त्वं मुलाधारस्थितोऽसि नित्यं।
त्वं शक्तित्रयात्मक:।
त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यं।
त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्तवं
रुद्रस्त्वं इंद्रस्त्वं अग्निस्त्वं
वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चंद्रमास्त्वं
ब्रह्मभूर्भुव:स्वरोम्॥६॥

गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादिं तदनंतरं।
अनुस्वार: परतर:। अर्धेन्दुलसितं।
तारेण ऋध्दं। एतत्तव मनुस्वरूपं।
गकार: पूर्वरुपं। अकारो मध्यमरूपं।
अनुस्वारश्चान्त्यरुपं। बिन्दुरुत्तररुपं।
नाद: संधानं। स हिता संधि:।
सैषा गणेशविद्या:। गणक ऋषि:।
निचृद्वायत्रीच्छंद:। गणपतिर्देवता।
ॐ गं गणपतये नम:॥७॥

एकदंताय विद्महे।
वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दंती प्रचोदयात्॥८॥

एकदंतं चतुर्हस्तं पाशमंकुशधारिणम्।
रदं च वरदं हस्तैर्बिभ्राणं मूषकध्वजम्।
रक्तं लंबोदरं शूर्पकर्णकं रक्तवाससम्।
रक्तगंधानुलिप्तांगं रक्तपुष्पै: सुपुजितम्।
भक्तानुकंपिनं देवं जगत्कारणमच्युतम्।
आविर्भूतं च सृष्टयादौ प्रकृते: पुरुषात्परम्।
एवं ध्यायति यो नित्यं स योगी योगिनां वर:॥९॥

नमो व्रातपतये। नमो गणपतये।
नम: प्रमथपतये। नमस्तेऽस्तु लंबोदरायैकदंताय।
विघ्ननाशिने शिवसुताय।
श्रीवरदमूर्तये नमो नम:॥१०॥






संकटनाशन स्तोत्र - नारद पुराण

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्
भक्तावासं स्मरेनित्यम आयुष्कामार्थ सिध्दये ॥१॥

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्
तृतीयं कृष्णपिङगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥२॥

लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धुम्रवर्णं तथाषष्टम ॥३॥

नवमं भालचंद्रं च दशमं तु विनायकम्
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥४॥

द्वादशेतानि नामानि त्रिसंध्यं य: पठेन्नर:
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिध्दीकर प्रभो ॥५॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम ॥६॥

जपेद्गणपतिस्तोत्रं षडभिर्मासे फलं लभेत्
संवत्सरेण सिध्दीं च लभते नात्र संशय: ॥७॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा य: समर्पयेत
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥८॥

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भजन - दुख हरो द्वारिकानाथ

तुम कहाँ छुपे भगवान करो मत देरी
दुख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी

यही सुना है दीनबन्धु तुम सबका दुख हर लेते
जो निराश हैं उनकी झोली आशा से भर देते
अगर सुदामा होता मैं तो दौड़ द्वारका आता
पाँव आँसुओं से धो कर मैं मन की आग बुझाता
तुम बनो नहीं अनजान, सुनो भगवान, करो मत देरी
दुख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी

जो भी शरण तुम्हारी आता, उसको धीर बंधाते
नहीं डूबने देते दाता, नैया पार लगाते
तुम न सुनोगे तो किसको मैं अपनी व्यथा सुनाऊँ
द्वार तुम्हारा छोड़ के भगवन और कहाँ मैं जाऊँ
प्रभु कब से रहा पुकार, मैं तेरे द्वार, करो मत देरी
दुख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी




Dhanvantari Mantra for Good health

Om Namo Bhagavate
Maha Sudharshanaya
Vasudevaya Dhanvantaraye;
Amrutha Kalasa Hasthaaya
Sarva Bhaya Vinasanaya
Sarva Roga Nivaranaya
Thri Lokaya Pathaye
Thri Lokaya Nithaye
Sri Maha Vishnu Swarupaya
Sri Dhanvantri Swarupaya
Sri Sri Sri Aoushata Chakra Narayana Namaha

Friday, December 4, 2009

Gayatri Mantra

Gayatri Mantra

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम्
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥






Ganesh Gayatri Mantra

ॐ एकदंताय विद्महे।
वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दंती प्रचोदयात्॥





Lakshmi Gyatri Mantra

ॐ महादेव्यै च विद्महे
विष्णु पत्न्यै च धीमहि,
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्॥




Narayan Gayatri Mantra

ॐ नारायणाय विद्महे
वासुदेवाये धीमहि
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥




Bhrama Gayatri Mantra


ॐ वेदात्मने विद्महे,
हिरण्यगर्भाय धीमहि,
तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥






Shiv Gayatri Mantra

ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे
महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्





Mahamritunjay Mantra

ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात्






Hanuman Gayatri Mantra

ॐ आञ्जनेयाय विद्महे,
वायुपुत्राय धीमहि,
तन्नो हनुमान् प्रचोदयात्





Krishna Gayatri Mantra

ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे
वासुदेवाय धीमहि,
तन्नो कृष्णः प्रचोदयात्





Shanmukha Gayatri Mantra

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे,
महासेनाय धीमहि,
तन्नो शण्मुख प्रचोदयात् ॥





Vishnu Gayatri Mantra

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे
वासुदेवाये धीमहि,
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्

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